कम पढे लिखे इंसान इसे जरूर पढे , इस अनपढ़ आदमी की कमाई जानकर चौक जायेंगे
कम पढे लिखे इंसान इसे जरूर पढे , इस अनपढ़ आदमी की कमाई जानकर चौक जायेंगे , जिन्हें पढ़ाई में मन नहीं लगता और एक बार तो कोई आठवीं के बाद ही पढ़ाई छोड़ देते हैं। दोस्तों समस्या ये नहीं है आपकी पढ़ाई छूट गई है , बल्कि समस्या तब खड़ी हो जाती है , कम पढ़े लिखे लोग अपने आपको पढ़े लिखे लोगों से कम समझने लगते हैं..................
अपने आप को विक्टिम मानने लगते हैं अपनी क्षमताओं को वश में करने लगते हैं अपनी प्रतिभा का आकलन बहुत कम करके आते हैं। ऐसा एट्टीट्यूड ऐसी सोच बिल्कुल गलत है। क्योंकि जरूरी नहीं कि जो व्यक्ति ज्यादा पढ़ा लिखा होगा केवल वो ही अमीर बनेगा। दोस्त हमारे देश में अनेकों ऐसे व्यक्ति जो के अनपढ़ होने के बावजूद अपनी लगन से अपनी प्रतिभा के बल पर उस ऊंचे मुकाम को हासिल किया है जो हर किसी के बस की बात नहीं है।
आज मैं आपको एक ऐसे शख्स की कहानी बताने जा रहा हूं , जिन्होंने पढ़ाई तो केवल पांचवी तक की पढाई की है। अपनी प्रतिभा अपनी लगन अपनी मेहनत से सफलता के उस मुकाम को प्राप्त किया जिसे पाने की चाहत हर इंसान को होती है। यह कहानी है 1947 की देश गुलामी की जंजीर की वजह से पटवारी धर्मपाल और उसके परिवार को सियालकोट छोड़कर दिल्ली में शरण लेनी पड़ी परिवार का पेट भरने के लिए धर्मपाल ने 650 में एक तांगा ख़रीदा। जो की नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से कुतुब रोड तक चलाते थे। लेकिन केवल 2 महीने तांगा चलाने के बाद ही उन्होंने अपना खुद का गोड़ा खरीद कर मसाले बेचना शुरू कर दिया था। परिवार घर पर मसाले पीसने धर्मपाल घर-घर जाकर मसालों को बेचा करते थे धीरे-धीरे मसालों की क्वालिटी इतनी अच्छी कि लोगों का भरोसा बढ़ता चला गया। उनकी लगन उनकी मेहनत रंग लाने लगी और धीरे-धीरे उनका व्यापार बढ़ता चला गया।
1968 में उन्होंने अपनी पहली मसालों की फैक्ट्री दिल्ली में शुरू हुई उसके बाद उनके मसाले पूरे देश में सप्लाई होने लगे। आज उनकी कंपनी एमडीएच के नाम से देश दुनिया में अपनी सफलता हासिल की। एम डी एच मसाले विश्व के 100 से अधिक देशों में एक्सपोर्ट किए जाते हैं। महाशय धर्मपाल अपनी मेहनत के बल पर अपने मसालों का 15000 करोड़ का विशाल साम्राज्य अभी तक सफलता के कीर्तिमान को हासिल करके दिखाया है। जिसके सपने हर इंसान देखता है। दोस्तों महाशय धर्मपाल ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं है। उन्हें पढ़ाई में मन नहीं लगता उन्होंने केवल लेकिन अपनी प्रतिभा और मेहनत के दम पर सफलता के शिखर तक पहुँच कर दिखाया।
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कम पढे लिखे इंसान इसे जरूर पढे , इस अनपढ़ आदमी की कमाई जानकर चौक जायेंगे |
इस अनपढ़ आदमी की कमाई जानकर चौक जायेंगे
दोस्त हमारे देश में बहुत सारे ऐसे लोग हैं , जिन्हें अपनी पढ़ाई पूरी करने का अवसर नहीं मिला है। कुछ युवकों को 10th के पहले और कुछ युवको को तो उसके बाद ही मजबूरी पढ़ाई छोड़नी पड़ती है। वहीं कुछ स्टूडेंट ऐसे भी होते हैं जिन्हें पढ़ाई में मन नहीं लगता और एक बार तो कोई आठवीं के बाद ही पढ़ाई छोड़ देते हैं। दोस्तों समस्या ये नहीं है आपकी पढ़ाई छूट गई है , बल्कि समस्या तब खड़ी हो जाती है , कम पढ़े लिखे लोग अपने आपको पढ़े लिखे लोगों से कम समझने लगते हैं।अपने आप को विक्टिम मानने लगते हैं अपनी क्षमताओं को वश में करने लगते हैं अपनी प्रतिभा का आकलन बहुत कम करके आते हैं। ऐसा एट्टीट्यूड ऐसी सोच बिल्कुल गलत है। क्योंकि जरूरी नहीं कि जो व्यक्ति ज्यादा पढ़ा लिखा होगा केवल वो ही अमीर बनेगा। दोस्त हमारे देश में अनेकों ऐसे व्यक्ति जो के अनपढ़ होने के बावजूद अपनी लगन से अपनी प्रतिभा के बल पर उस ऊंचे मुकाम को हासिल किया है जो हर किसी के बस की बात नहीं है।
आज मैं आपको एक ऐसे शख्स की कहानी बताने जा रहा हूं , जिन्होंने पढ़ाई तो केवल पांचवी तक की पढाई की है। अपनी प्रतिभा अपनी लगन अपनी मेहनत से सफलता के उस मुकाम को प्राप्त किया जिसे पाने की चाहत हर इंसान को होती है। यह कहानी है 1947 की देश गुलामी की जंजीर की वजह से पटवारी धर्मपाल और उसके परिवार को सियालकोट छोड़कर दिल्ली में शरण लेनी पड़ी परिवार का पेट भरने के लिए धर्मपाल ने 650 में एक तांगा ख़रीदा। जो की नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से कुतुब रोड तक चलाते थे। लेकिन केवल 2 महीने तांगा चलाने के बाद ही उन्होंने अपना खुद का गोड़ा खरीद कर मसाले बेचना शुरू कर दिया था। परिवार घर पर मसाले पीसने धर्मपाल घर-घर जाकर मसालों को बेचा करते थे धीरे-धीरे मसालों की क्वालिटी इतनी अच्छी कि लोगों का भरोसा बढ़ता चला गया। उनकी लगन उनकी मेहनत रंग लाने लगी और धीरे-धीरे उनका व्यापार बढ़ता चला गया।
1968 में उन्होंने अपनी पहली मसालों की फैक्ट्री दिल्ली में शुरू हुई उसके बाद उनके मसाले पूरे देश में सप्लाई होने लगे। आज उनकी कंपनी एमडीएच के नाम से देश दुनिया में अपनी सफलता हासिल की। एम डी एच मसाले विश्व के 100 से अधिक देशों में एक्सपोर्ट किए जाते हैं। महाशय धर्मपाल अपनी मेहनत के बल पर अपने मसालों का 15000 करोड़ का विशाल साम्राज्य अभी तक सफलता के कीर्तिमान को हासिल करके दिखाया है। जिसके सपने हर इंसान देखता है। दोस्तों महाशय धर्मपाल ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं है। उन्हें पढ़ाई में मन नहीं लगता उन्होंने केवल लेकिन अपनी प्रतिभा और मेहनत के दम पर सफलता के शिखर तक पहुँच कर दिखाया।
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