99% लोग नहीं जानते, फरवरी महीने में 28 दिन क्यों होते है पढिये
99% लोग नहीं जानते, फरवरी महीने में 28 दिन क्यों होते है पढिये , लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि फरवरी के साथ इतनी नाइंसाफी क्यों की गई और क्यों इसे 28 दिनों का या 29 दिनों का ही महीना बना दिया गया? आप नहीं जानते तो आइए आज जानते हैं… यूं तो फरवरी महीने में 28 दिन होते हैं लेकिन लीप वर्ष होने के कारण .........
एक साल में 12 महीने होते हैं और इन 12 महीनों में कुछ 365 दिन होते हैं. 12 महीनों में कुछ महीनों में 30 दिन तो कुछ महीनों में 31 दिन होते हैं लेकिन फरवरी एक ऐसा महीना होता है जिसमें 28 या 29 दिन ही होते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि फरवरी के साथ इतनी नाइंसाफी क्यों की गई और क्यों इसे 28 दिनों का या 29 दिनों का ही महीना बना दिया गया? आप नहीं जानते तो आइए आज जानते हैं…
99% लोग नहीं जानते, फरवरी महीने में 28 दिन क्यों होते है पढिये
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फरवरी महीने में 28 दिन क्यों होते है
एक साल में 12 महीने होते हैं और इन 12 महीनों में कुछ 365 दिन होते हैं. 12 महीनों में कुछ महीनों में 30 दिन तो कुछ महीनों में 31 दिन होते हैं लेकिन फरवरी एक ऐसा महीना होता है जिसमें 28 या 29 दिन ही होते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि फरवरी के साथ इतनी नाइंसाफी क्यों की गई और क्यों इसे 28 दिनों का या 29 दिनों का ही महीना बना दिया गया? आप नहीं जानते तो आइए आज जानते हैं…
यूं तो फरवरी महीने में 28 दिन होते हैं लेकिन लीप वर्ष होने के कारण फरवरी में 29 दिन भी होते हैं. इन दिनों हम जिस कैलेंडर का इस्तेमाल करते हैं वह रोमन कैलेंडर पर आधारित है. पहले के कैलेंडर में महीनों की शुरुआत मार्च से होती थी. उस समय एक साल में 304 दिन होते थे और एक साल में सिर्फ 10 महीने ही होते थे. इसके बाद इस कैलेंडर में बदलाव हुए और बदलाव के चलते साल में 2 महीने ‘जनवरी और फरवरी’ और जोड़ दिए गए. यह वर्ष चन्द्र वर्ष के अनुसार बनाए गए. चांद पृथ्वी का पूरा चक्कर 354 दिनों में पूरा करता है.
इसलिए जनवरी और फरवरी को 28-28 दिन का रखा गया, लेकिन रोम के लोग 28 अंक को अशुभ मानते थे. जिसके चलते उन्होंने जनवरी में 1 और दिन जोड़ उसे 29 दिन का बना दिया. इस बदलाव के बाद साल में 12 महीने और 355 दिन होने लगे. अब आप सोच रहे होंगे की फरवरी में 1 दिन क्यों नहीं जोड़ा? रोम के लोग फरवरी को अशुभ मानते थे. इस महीने में यह लोग मरे हुए लोगो की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते थे. लेकिन इतने बदलावों के बावजूद कैलेंडर में आने वाली मुश्किलें खत्म नहीं हुई. यह वर्ष अब मौसम के मुताबित नहीं बनाया गया था, क्योंकि इस वर्ष को चंद्रमा के अनुसार बनाया गया था. मौसम हमेशा सूर्य और प्रथ्वी के चक्कर के कारण बदलता है.
पुरानी कहानियों के मुताबिक जुलियस सीजर ने 45 BC में कैलेंडर को चंद्रमा के अनुसार न रखते हुए सूर्य के अनुसार रखा. इस बदलाव के बाद हर वर्ष में 10 दिन और जोड़ दिए गए. इसके कारण अब हर वर्ष 365 दिन और 6 घंटे का हो गया. क्योंकि सूर्य पृथ्वी का चक्कर 365 दिन और 6 घंटे में पूरा करता है. पीछे बचे इन 6 घंटो को हर साल बचा लिया जाता है और हर चौथे साल मिला कर एक दिन फरवरी महीने में जोड़ दिया जाता है. इस वर्ष को हम लीप वर्ष कहते है. कहानियों और ग्रंथो के अनुसार इसी कारण फरवरी में 28 दिन और चार साल बाद 29 दिन होते हैं.
इसलिए जनवरी और फरवरी को 28-28 दिन का रखा गया, लेकिन रोम के लोग 28 अंक को अशुभ मानते थे. जिसके चलते उन्होंने जनवरी में 1 और दिन जोड़ उसे 29 दिन का बना दिया. इस बदलाव के बाद साल में 12 महीने और 355 दिन होने लगे. अब आप सोच रहे होंगे की फरवरी में 1 दिन क्यों नहीं जोड़ा? रोम के लोग फरवरी को अशुभ मानते थे. इस महीने में यह लोग मरे हुए लोगो की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते थे. लेकिन इतने बदलावों के बावजूद कैलेंडर में आने वाली मुश्किलें खत्म नहीं हुई. यह वर्ष अब मौसम के मुताबित नहीं बनाया गया था, क्योंकि इस वर्ष को चंद्रमा के अनुसार बनाया गया था. मौसम हमेशा सूर्य और प्रथ्वी के चक्कर के कारण बदलता है.
पुरानी कहानियों के मुताबिक जुलियस सीजर ने 45 BC में कैलेंडर को चंद्रमा के अनुसार न रखते हुए सूर्य के अनुसार रखा. इस बदलाव के बाद हर वर्ष में 10 दिन और जोड़ दिए गए. इसके कारण अब हर वर्ष 365 दिन और 6 घंटे का हो गया. क्योंकि सूर्य पृथ्वी का चक्कर 365 दिन और 6 घंटे में पूरा करता है. पीछे बचे इन 6 घंटो को हर साल बचा लिया जाता है और हर चौथे साल मिला कर एक दिन फरवरी महीने में जोड़ दिया जाता है. इस वर्ष को हम लीप वर्ष कहते है. कहानियों और ग्रंथो के अनुसार इसी कारण फरवरी में 28 दिन और चार साल बाद 29 दिन होते हैं.
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