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जान लीजिए ‘कैसे बने पिरामिड’, इसके चौंकाने वाले रहस्य से उठ गया पर्दा

 जान लीजिए ‘कैसे बने पिरामिड’, इसके चौंकाने वाले रहस्य से उठ गया पर्दा ,  पिरामिड तीकोने आकार के होते हैं. इसका ऊपरी भाग तीकोना और नोकदार होता है, लेकिन इनका फर्श चौकोर होता है. पिरामिडों की ऊंचाई 400 से 500 फुट होती है और इनकी दीवारें ढालू होती हैं. ....... इन्हें बनाने मे काफी लंबा समय लगता था. इन्हें धीरे-धीरे बनाया गया और एक समय पर सिर्फ एक ही ब्लॉक बनाया गया. यह भी माना जाता है की ...............


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जान लीजिए ‘कैसे बने पिरामिड’, इसके चौंकाने वाले रहस्य से उठ गया पर्दा


मिश्र के पिरामिड


इस धरती पर कई अजूबे और रहस्य हैं. इनमें से ही एक है पिरामिडों का रहस्य. पिरामिडों का इतिहास करीब 4500 से 5000 वर्ष पुराना है. मिश्र के पिरामिड दुनियाभर में मशहूर हैं. पिरामिड का अर्थ शक्ति और ऊर्जा से है. यह ब्रह्राांडीय ऊर्जा को आकर्षित करके अंदर प्रेषित करते हैं. पिरामिड तीकोने आकार के होते हैं. इसका ऊपरी भाग तीकोना और नोकदार होता है, लेकिन इनका फर्श चौकोर होता है. पिरामिडों की ऊंचाई 400 से 500 फुट होती है और इनकी दीवारें ढालू होती हैं. 


पिरामिड का निर्माण

इसके साथ ही पिरामिड रेत की आंधी में कभी दबते नहीं है. पिरामिडों में रखे खाद्य पदार्थ कभी खराब भी नहीं होते. पिरामिडों की एकदम ऊंचाई पर रखे शव, जिन्हें ममी कहते हैं वो आज तक अविकृत हैं. पिरामिड में प्रकाश, जलवायु तथा ऊर्जा का प्रवाह संतुलित रूप में रहता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पिरामिड का निर्माण कैसे हुआ ? नहीं, तो आइए जानते हैं…


मिस्त्र में सबसे प्रसिद्ध मानव निर्मित संरचनाओ में से एक पिरामिड एक शाही मकबरे के तौर पर जाने जाते हैं. प्राचीन मिस्त्र वासियों ने पिरामिड को राजाओं और उनकी रानियों के लिए कब्रों के रूप में बनाया था. हालांकि पिरामिडों का निर्माण कैसे किया गया ये अभी भी एक रहस्य बना हुआ है और पुरातत्ववेता कई सालों से इस रहस्य का समाधान करने की कोशिश कर रहे है. लेकिन ऐसा माना जाता है कि इन्हें बनाने में हजारों मजबूरों का प्रयोग किया गया. वैज्ञानिको ने अनुमान लगाया है की गीजा के पिरामिड का निर्माण करने के लिए करीब 23 सालों में कम से कम 20 हजार मजदूरों का सहारा लिया गया. इन्हें बनाने मे काफी लंबा समय लगता था. इन्हें धीरे-धीरे बनाया गया और एक समय पर सिर्फ एक ही ब्लॉक बनाया गया. यह भी माना जाता है की प्राचीन मिस्त्र वासी पत्थरों के विशाल ब्लॉक्स को रेगिस्तान के पार ले जाने में सक्षम थे. 




एक रिसर्च के मुताबिक गीली रेत के जरिए भी भारी वस्तुओं को खींचना संभव हुआ. पिरामिड को बनाने के लिए लाखों अलग-अलग आकार के चुनापत्थरों का उपयोग किया गया. इसमें से हर पत्थर का वजन 2 टन से लेकर 30 टन तक का था. इतने वजनी पत्थरों से किसी भी स्ट्रक्चर का निर्माण करना मुश्किल था लेकिन मिश्र के लोगों ने इन पिरामिड को काफी बारीकी से बनाया है. पिरामिड में नींव के चारों कोने के पत्थरों में बॉल और सॉकेट बनाए गए हैं ताकि भूकंप के दौरान यह सुरक्षित रहे. वहीं एक खास बात यह भी है कि पिरामिड को बनाने के लिए दो पत्थरों को इस तरह से फिट किया गया है कि इनके बीच एक ब्लेड भी नहीं घुसाई जा सकती है और ऐसे आखिर में पिरामिड का निर्माण हुआ. 

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