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थम गयी सांसों की डोर , 'कलेंजर' यानि तमिल कला का विद्वान , DMK president M Karunanidhi passed away at 94 on Tuesday

थम गयी सांसों की डोर , 'कलेंजर' यानि तमिल कला का विद्वान , DMK president M Karunanidhi passed away at 94 on Tuesday  डीएमके यानी द्रमुक प्रमुख और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि  का मंगलवार की शाम निधन हो गया. उनके निधन की सूचना मिलते ही समर्थकों में शोक की लहर दौड़ पड़ी. करुणानिधि के निधन पर राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री सहित तमाम नेताओं ने शोक जताते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी है. इसके अलावा उनके निधन पर शोक जताने और श्रद्धांजलि देने वालों की भीड़ है. करुणानिधि को दफनाने को लेकर विवाद हो गया है. इसे लेकर मद्रास हाईकोर्ट में फिर सुनवाई होगी.
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थम गयी सांसों की डोर , 'कलेंजर' यानि तमिल कला का विद्वान , DMK president M Karunanidhi passed away at 94 on Tuesday

एम करूणानिधि का जन्म तिरुक्कुवलड में 3 जून 1924 को  हुआ था। बचपन में लोग उन्हें दक्षिणमूर्ति कहकर बुलाते थे। कुछ लोग उन्हें शब्दों का जादूगर कहते थे। एक सफल और मशहूर दक्षिण भारतीय राजनेता के साथ साथ वे तमिल सिनेमा जगत के एक नाटककार और लेखक भी रह चुके है , उन्होंने कई हिट फिल्मो की पठकथा भी लिखी है। उनके प्रशंसक उनको कलेंजर कहकर भी बुलाते थे। कलेंजर यानि तमिल कला का विद्वान्। द्रविड़ आंदोलन से राजनीती में आने वाले करूणानिधि समाजवादी विचारो के प्रणेता थे। करूणानिधि  पांच बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे। 

महज 14 साल की उम्र में राजनीती में एंट्री 

14 वर्ष की उम्र में जहा बच्चे खेलकूद  रहते है , वहीँ करूणानिधि राजनीती में कदम रख चुके थे।  द्रविड़ आंदोलन से जुड़े रहने  वाले करूणानिधि की भाषा शैली कमाल की थी। वे पहली बार 1957  में विधायक चुने गए। इसके बाद उनकी समाजवादी नेता के रूप में छवि बनती गयी और उसके बाद करूणानिधि ने राजनीती में पीछे मुड़कर नहीं देखा। डीएमके संस्थापक अन्नादुरई के निधन के बाद साल 1969 में वह पहलीबार तमिलनाडु के मुखयमंत्री बने। अगले ही विद्यानसभा चुनाव में उन्हें भारी बहुमत हासिल हुआ। वे 1969 -71 , 1971-76 , 1989-91 , 1996-2001 , और 2006-2011 तक पांच बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे। 

हिन्दू विरोधी लेख से मिली प्रसिद्धि , 1972 में  सियासी भूल एमजीआर से किनारा 

1937 में स्कूलों में हिंदी भाषा को अनिवार्य करने की वजह से दक्षिण में इसका विरोध शुरू हुआ था। करूणानिधि भी हिंदी अनिवार्य किये जाने के विरोध में थे। उन्होंने उस वक्त आंदोलन में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। उन्होंने कई हिंदी विरोधी लेख लिखे। 20 वर्ष की उम्र में तमिल फिल्मो में बतौर पटकथा लेखक करियर शुरू  किया था। 1972 में  पार्टी के कोषाध्यक्ष एमजी रामचंद्रन [एमजीआर] ने उनपर भ्रस्टाचार का आरोप लगाया था। इस पर उन्होंने एमजीआर को पार्टी से बाहर का राश्ता दिखाया। एमजीआर ने एआईएडीएमके बना ली और पांच वर्ष बाद ही एमजीआर चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री बन गए। थम गयी सांसों की डोर , 'कलेंजर' यानि तमिल कला का विद्वान , DMK president M Karunanidhi passed away at 94 on Tuesday

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