हनुमान जी से जुडी ऐसी रोचक जानकारी , जिससे 99% हिन्दू अनजान होंगे !
हनुमान जी से जुडी ऐसी रोचक जानकारी , जिससे 99% हिन्दू अनजान होंगे ! कथा में किसने रावण की लंका को जलाया था। तो सभी यह कहेंगे कि रावण की लंका को हनुमान जी ने जलाई थी। लेकिन यदि हम कहे की रावण की लंका हनुमान जी ने नहीं बल्कि माता पार्वती ने जलाई तो। यदि आपको यह सुनकर विश्वास नहीं हुआ तो चलिए आज हनुमान लंका दहन के संबंध में ऐसी कथा के बारे में बताएंगे ......
रामायण की कथा से तो हम सभी भली भांति परिचित ही है। यदि कोई व्यक्ति आपसे यही पूछ ले रामायण की कथा में किसने रावण की लंका को जलाया था। तो सभी यह कहेंगे कि रावण की लंका को हनुमान जी ने जलाई थी। लेकिन यदि हम कहे की रावण की लंका हनुमान जी ने नहीं बल्कि माता पार्वती ने जलाई तो। यदि आपको यह सुनकर विश्वास नहीं हुआ तो चलिए आज हनुमान लंका दहन के संबंध में ऐसी कथा के बारे में बताएंगे जिस की भूमिका हनुमान जी के जन्म से पूर्व की है।
बात बहुत समय पहले की है , भोले शंकर ने माता पार्वती का मनोरथ पूर्ण करने के लिए विश्वकर्मा जी से कहकर एक आकर्सक और सोने का भव्य महल बनवाया था। रावण की दृष्टि महल पर पड़ी तो उसने सोचा इतना सुंदर महल तो त्रिलोक में किसी के पास नहीं है। अतः यह महल तो मेरा होना चाहिए , रावण ब्राह्मण का रूप लेकर भोले शंकर के पास गया और भिक्षा में उसे स्वर्ण महल की मांग करने लगा शंकर जान गए कि , उनका प्रिय भक्त रावण ब्राह्मण का रूप धारण कर उनके महल की मांग कर रहा है। ब्राह्मण को खाली हाथ भेजना भी अनिरुद्ध था क्योकि , शास्त्रों में वर्णित है द्वार पर आए हुए भिक्षक को कभी भी खाली हाथ नहीं जाने देना चाहिए।
उसका अपमान मत करो हमेशा के लिए हाथ बढ़ाओ = सुख समृद्धि और प्रभु कृपा स्वयं तुम्हारे घर आएंगे परंतु याद रहे दान के बदले में कुछ पाने की इच्छा ना रखे निर्दोष ह्रदय से किया गया गुप्तदान महासुख प्रदान करता है।
शंकर ने खुशी-खुशी महल ब्राह्मण को दान में दे दिया। जब पार्वती जी को ज्ञात हुआ कि उनका प्रिय मेहल भोले शंकर ने रावण को दान में दे दिया है। तो पार्वती ने भोले शंकर को मनाने का बहुत प्रयत्न किया। पर भोले नहीं माने और पार्वती जी को वायदा किया कि त्रेता युग में जब राम अवतार होगा। तो मैं बालक का रूप कर हनुमान का अवतार लूंगा। तब आप मेरी पुंछ बन जाएं राक्षसों का संहार करने के लिए , रावण माता सीता का हरण कर ले जाएगा तो मैं माता सीता की खोज खबर लेने तुम्हारे स्वर्ण महल में आऊंगा जो कि भविष्य में सोने की लंका के नाम से विख्यात होगी उस समय तुम मेरी पुंछ के रुप में लंका को आग लगा दो और रावण को दंडित करना पार्वती जी मान गई इस तरह की शंकर हनुमान और मां पार्वती पुँछ बनी। दोस्तों यह प्रसंग के श्री हनुमान अवतार और लंका दहन का एक कारण माना जाता है। तो दोस्तों अभी के लिए इतना ही आपको यह ब्लॉग कैसा लगा नीचे कमेंट करके मुझे जरूर बताएं आपके कमेंट का मुझे इंतजार रहेगा।
![]() |
हनुमान जी से जुडी ऐसी रोचक जानकारी , जिससे 99% हिन्दू अनजान होंगे ! |
रामायण की कथा से तो हम सभी भली भांति परिचित ही है। यदि कोई व्यक्ति आपसे यही पूछ ले रामायण की कथा में किसने रावण की लंका को जलाया था। तो सभी यह कहेंगे कि रावण की लंका को हनुमान जी ने जलाई थी। लेकिन यदि हम कहे की रावण की लंका हनुमान जी ने नहीं बल्कि माता पार्वती ने जलाई तो। यदि आपको यह सुनकर विश्वास नहीं हुआ तो चलिए आज हनुमान लंका दहन के संबंध में ऐसी कथा के बारे में बताएंगे जिस की भूमिका हनुमान जी के जन्म से पूर्व की है।
बात बहुत समय पहले की है , भोले शंकर ने माता पार्वती का मनोरथ पूर्ण करने के लिए विश्वकर्मा जी से कहकर एक आकर्सक और सोने का भव्य महल बनवाया था। रावण की दृष्टि महल पर पड़ी तो उसने सोचा इतना सुंदर महल तो त्रिलोक में किसी के पास नहीं है। अतः यह महल तो मेरा होना चाहिए , रावण ब्राह्मण का रूप लेकर भोले शंकर के पास गया और भिक्षा में उसे स्वर्ण महल की मांग करने लगा शंकर जान गए कि , उनका प्रिय भक्त रावण ब्राह्मण का रूप धारण कर उनके महल की मांग कर रहा है। ब्राह्मण को खाली हाथ भेजना भी अनिरुद्ध था क्योकि , शास्त्रों में वर्णित है द्वार पर आए हुए भिक्षक को कभी भी खाली हाथ नहीं जाने देना चाहिए।
उसका अपमान मत करो हमेशा के लिए हाथ बढ़ाओ = सुख समृद्धि और प्रभु कृपा स्वयं तुम्हारे घर आएंगे परंतु याद रहे दान के बदले में कुछ पाने की इच्छा ना रखे निर्दोष ह्रदय से किया गया गुप्तदान महासुख प्रदान करता है।
शंकर ने खुशी-खुशी महल ब्राह्मण को दान में दे दिया। जब पार्वती जी को ज्ञात हुआ कि उनका प्रिय मेहल भोले शंकर ने रावण को दान में दे दिया है। तो पार्वती ने भोले शंकर को मनाने का बहुत प्रयत्न किया। पर भोले नहीं माने और पार्वती जी को वायदा किया कि त्रेता युग में जब राम अवतार होगा। तो मैं बालक का रूप कर हनुमान का अवतार लूंगा। तब आप मेरी पुंछ बन जाएं राक्षसों का संहार करने के लिए , रावण माता सीता का हरण कर ले जाएगा तो मैं माता सीता की खोज खबर लेने तुम्हारे स्वर्ण महल में आऊंगा जो कि भविष्य में सोने की लंका के नाम से विख्यात होगी उस समय तुम मेरी पुंछ के रुप में लंका को आग लगा दो और रावण को दंडित करना पार्वती जी मान गई इस तरह की शंकर हनुमान और मां पार्वती पुँछ बनी। दोस्तों यह प्रसंग के श्री हनुमान अवतार और लंका दहन का एक कारण माना जाता है। तो दोस्तों अभी के लिए इतना ही आपको यह ब्लॉग कैसा लगा नीचे कमेंट करके मुझे जरूर बताएं आपके कमेंट का मुझे इंतजार रहेगा।
कोई टिप्पणी नहीं